राम सेतु :
Ram setu राम सेतु को लेकर अलग अलग कहानियां है. वैसे हिंदु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक पुल है, जो अभी तो हिंद महासागर के नीचे है. यह पुल उस वक्त बनाया गया था, जब भगवान राम सीता को बचाने के लिए लंका जा रहे थे. उस वक्त भारत के धनुषकोडी से आज के श्रीलंका तक जाने के लिए एक पुल बनाया गया था, जिसे राम सेतु कहा जाता है.राम सेतु मन्नार की खाड़ी को पाक स्ट्रेट से अलग भी करता है। रेत के कुछ तट सूखे हैं। इस संरचना के चारों ओर का समुद्र बहुत उथला है, जिसकी गहराई तीन फीट से लेकर 30 फीट तक है। कई वैज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार, राम सेतु 1480 तक पूरी तरह से समुद्र तल से ऊपर था, लेकिन यहाँ एक चक्रवात आने से यह क्षतिग्रस्त हो गया था।
राम सेतु का निर्माण :
विश्व का सबसे अद्भुत और सच्चे प्रेम का प्रतीक हैं रामसेतु (Ram Setu history in hindi). रामसेतु मार्ग का निर्माण वानर सेना द्वार नील व नल के सानिध्य में हुआ। भगवान श्री राम और माता सीता के असीम प्रेम की निशानी के तौर पर विश्व विख्यात रामसेतु मार्ग का निर्माण रामेश्वरम से लंका जाने के लिए किया गया था।
तमिलनाडु भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप और श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप के बिच में भगवान श्री राम और वानर सेना द्वारा माता सीता को रावण से मुक्त करवाने के लिए रामसेतु पुल (Ram Setu) का निर्माण किया गया था ताकि समुद्र को पार किया जा सके।
भौगौलिक प्रमाणों से पता चलता है कि रामसेतु भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए बना मार्ग था। लेकिन वास्तव में इसका निर्माण नल और नील द्वारा किया गया था। इसका साक्ष्य रामायण में मिलता हैं। रामसेतु की सच्चाई क्या हैं? रामसेतु की सच्चाई जानना चाहते हैं कि तो यह लेख पुरा पढ़ें।
यहाँ है राम सेतु :
भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है, इसे भारत में रामसेतु और दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई करीब 30 मील (48 किमी) है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक दूसरे से अलग करता है।
राम सेतु की आयु :
एक साइंस चैनल ने दावा किया है कि रामसेतु कोरी कल्पना नहीं हो सकता है क्योंकि इस बात के प्रमाण हैं कि भारत और श्री लंका के बीच स्थित इस बलुई रेखा पर मौजूद पत्थर करीब 7000 साल पुराने हैं। इसके बारे में मान्यता है कि भगवान राम और उनकी वानर सेना ने श्री लंका में रावण पर हमले के लिए इस सेतु का निर्माण किया था।
राम सेतु मानव निर्मित :
एक अमेरिकी चैनल डिस्कवरी ने अपनी हालिया खोज में बताया है कि, राम सेतु एक मानव निर्मित सेतु है. राम सेतु जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है, को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम द्वारा वानर सेना के सहयोग से बनाया गया था
राम सेतु की लंबाई :
भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है, इसे भारत में रामसेतु और दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई करीब 30 मील (48 किमी) है।
Ram Setu:
रामायण काल में भारत और लंका के बीच हजारों साल पहले समुद्र पर एक विशाल सेतु (पुल) बनाया गया था. इस सेतु का निर्माण भगवान श्रीराम की सेना ने किया. इसके जरिए ही सेना समुद्र को पार कर राक्षसराज रावण को दंडित करने पहुंची थी. ग्रंथों में तो इसका उल्लेख है ही, अपितु अब आधुनिक युग के अनुसंधानकर्ताओं ने यह माना है कि आज भारत और श्रीलंका के बीच जो एडम्स ब्रिज है, वो हजारों साल पुराना सेतु है.पृथ्वी की उथल-पुथल से कालांतर में लंका और भारत भूमि के बीच दूरी कम होती चली गई और अब बमुश्किल दोनों में 100 किमी का फासला होगा. हालांकि, दोनों के बीच सेतु के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जिसे रामसेतु कहते हैं. धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि लंका पहुंचने के लिए श्रीराम सेना को समुद्र पर 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा सेतु बनाना पड़ा. सेतु के निर्माण में नल-नील नाम के वानर-वीरों की अहम भूमिका रही, उन्हें यह श्राप था कि उनके हाथ का पत्थर कभी डूबेगा नहीं.
राम सेतु का पत्थर पानी में तैरता है :
वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु के पत्थरों का अध्ययन करने से पता चला है कि ये पत्थर अंदर से खोखले होते हैं। इन पत्थरों में छोटे-छोटे छेद हैं। इन पत्थरों में छेद होने के चलते इनमें हवा भरी होती है। जिसके चलते इनका वजन कम होता हैं और वजन कम होने के चलते ये पत्थर पानी में तैरने लगता है।
Ram Setu का इतिहास :
- रामसेतु कहां स्थित हैं- तमिलनाडु (रामेश्वरम).
- किसने बनवाया- श्रीराम जी ने।
- निर्माणकर्ता- नल और नील (वानर सेना).
- कितने वर्ष पूर्व निर्माण हुआ- आज से लगभग 3500 वर्ष पूर्व।
- रामसेतु की लंबाई- 48 किलोमीटर (Nasa के अनुसार).
- कहां से कहां तक– भारत से श्रीलंका।
- धार्मिक सम्बन्ध- हिन्दू सनातन धर्म।
- निर्माण की वजह- असुर रावण से माता सीता को मुक्त करवाने हेतु लंका जाने के लिए।
- आज भी मौजुद हैं- जी, हां।
- इसको देखा जा सकता हैं- हां,लेकिन सैटेलाइट द्वारा।
रामसेतु से सम्बन्धित जानकारी :
1. रामसेतु का निर्माण भगवान श्री राम की सेना जब लंका में जा रही थी, तब समुद्र को पार करने के लिए किया गया था।
2. रामसेतु को विश्व का सबसे बड़ा प्यार का प्रतीक माना जाता है।
3 . राम सेतु (Ram Setu) मार्ग को भगवान श्री राम और माता सीता के प्रेम की निशानी के तौर पर भी देखा जाता है।
4. रामसेतु का निर्माण महज 5 दिनों में पूरा हो गया था।
5. रामसेतु मार्ग दक्षिण पूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच बना हुआ है।
6. सैटेलाइट और गूगल मैप की सहायता से रामसेतु मार्ग पानी में स्पष्ट रूप से नजर आता है।
7. रामसेतु मार्ग आज भी मौजूद हैं लेकिन समुद्र के पानी की वजह से दिखाई नहीं देता है।