अयोध्या राम मंदिर
हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला।
हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा महत्त्व जिस भगवान को दिया है ओ है प्रभु श्रीरामभगवान राम या श्री राम एक हिंदू देवता और भगवान नारायण के सातवें अवतार हैं। वह वाल्मिकी द्वारा रचित महाकाव्य ‘रामायण’ के नायक हैं। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। वह अयोध्या नगरी के सूर्यवंशी महाराजा दशरथ और उनकी सबसे बड़ी रानी कौशल्या के पुत्र थे। उनका जन्म चैत्र शुद्ध नवमी को हुआ था। भगवान रामचन्द्र को पुरूषोत्तम कहा जाता है। भगवान श्री राम सत्यवादी, एकनिष्ठ तथा अत्यंत दयालु थे।
राम मंदिर का इतिहास (History of Ram Temple)
सनातन धर्म में श्रीराम को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का सातवां अवतार माना जाता है। वो दुनिया में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले राजा हैं। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में बताया गया है कि प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। अयोध्या में जहां पर उनका जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि (Ram janmbhoomi) के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। सनातन धर्म के अनुयाइयों का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगलों ने राम जन्मभूमि पर मंदिर को खंडित करके करवाया था। हिंदुओं के इस दावे के बाद साल 1850 से इस मामले में विवाद होना शुरू हो गया था।
इसके बाद कई बार विश्व हिन्दू परिषद् ( Vishwa Hindu Parishad) ने विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने की घोषणा की। इसके लिए 1990 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद् ने “श्री राम” लिखी ईंटें और धनराशि एकत्रित की। एक समय पर सरकार ने विश्व हिन्दू परिषद् को मंदिर बनाने की अनुमति दे दी थी। लेकिन कुछ कारणों की वजह से वहां मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो सका। इस बीच मंदिर को लेकर विवाद बढ़ता गया और साल 1992 में इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। साल 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया। इसके बाद साल 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि विवादित जगह को सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दे। जिसके बाद सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) का गठन करके वह जमीन ट्रस्ट को सौंप दी है। ट्रस्ट ने मार्च 2020 से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया है। जिसके आगामी साल 2024 में पूरा होने की संभावना है।
मंदिर का आकार (Size of Temple)
मंदिर का आकार मौजूदा ढांचे से तीन गुना बड़ा होगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय आकार का होगा, जबकि संरचना की परिधि गोलाकार होगी। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया जा रहा है। मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा जिसमें पांच गुंबद और एक टावर होगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। गर्भ गृह को ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि सूर्य की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें। रामलला भगवान श्रीराम के शिशु अवतार हैं। मंदिर में गर्भ गृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से ढंका होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे।
मंदिर में खिड़कियां और दरवाजे भी लगाए जाएंगे। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। यह बेहद मजबूत लकड़ी होती है जिसकी उम्र लगभग 100 साल के आस पास होती है। इन लकड़ियों को महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मंगवाया गया है। लकड़ियों की पहली खेप अयोध्या पहुंच चुकी है। 26 से 30 जून के बीच अनुष्ठान के बाद मंदिर के लिए खिड़कियां और दरवाजे बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। खिड़की और दरवाजे कुशल कारीगरों के हाथों से बनाए जाएंगे।
भगवान की मूर्ति (Idol of God)
मंदिर में भगवान की 2 मूर्तियां रखी जाएंगी। एक वास्तविक मूर्ति होगी जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तंबू में रही है। दूसरी एक बड़ी मूर्ति होगी जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। इस मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं अयोध्या लाई गई थी। ये शिलाएं नेपाल के मुस्तांग जिले में बह रही काली गण्डकी नदी के तट से लाई गई थी। कहा जा रहा है कि शालिग्राम की यह शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं। इन शिलाओं का वजन 26 टन और 14 टन है।
काली गण्डकी नदी के तट पर पाई जाने वाले शिलाएं प्रसिद्ध हैं। इन्हें शालिग्राम कहा जाता है। सनातन धर्म में इन शिलाओं को भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है और हर घर में इनकी पूजा की जाती है। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इन शिलाओं से भगवान श्रीराम मूर्ति बनाने का आग्रह किया था। जिसे ट्रस्ट और भारत के लोगों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। चंपत राय ने हाल ही में मीडिया को बताया है कि मंदिर में भगवान राम की पांच वर्ष की आयु के स्वरूप वाली मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इस मूर्ति का स्वरूप बाल्मीकि रामायण से लिया गया है। उन्होंने कहा कि सितंबर तक मंदिर के गर्भगृह का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही अक्टूबर तक रामलला की मूर्ति बनाकर तैयार कर ली जाएगी।
अयोध्या राम मंदिर: टाइमलाइन (Ayodhya Ram Mandir: Timeline)
1528-1529: मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।
1850: जमीन को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई।
1949: मस्जिद के अंदर राम की मूर्ति मिली, सांप्रदायिक तनाव तेज हुआ।
1950: मूर्ति पूजा की अनुमति के लिए फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मुकदमे दायर किए गए।
1961: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मूर्ति को हटाने की मांग की।
1986: जिला अदालत ने हिंदू उपासकों के लिए स्थल खोला।
1992: 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को गिराया गया।
2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
2011: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई।
2016: सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, राम मंदिर के निर्माण की मांग की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि थी, पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि ट्रस्ट को सौंप दी और सरकार को वैकल्पिक स्थल के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
2020: पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया और शिलान्यास किया।
राम मंदिर का उद्घाटन समारोह : Ram mandir opening date
अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी 2024 को होना तय हुआ है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में शरीक होंगे, ये खुलासा उन्होंने माइक्रो ब्लॉग्गिंग साइट X पर हाल ही में किया। इस भव्य उद्घाटन समारोह की तैयारियां 15 जनवरी से ही शुरू कर दी जाएँगी।
अयोध्या में 200 फीट की एक स्क्रीन लगाई गई है. ये दुनिया की सबसे बड़ी स्क्रीन बताई जा रही है. इसपर लाइट एंड साउंड शो होगा. इसके जरिए भगवान राम के जीवन के अलग-अलग प्रसंगों को दिखाया जाएगा. इस स्क्रीन पर रामायण के प्रसंग लगातार चलेंगे, इनको आने वाले पांच साल तक इसी तरह चलाने की मंजूरी प्रशासन ने दे दी है.